मुहूर्त किसी भी वैदिक अनुष्ठान के लिए सबसे शुभ समयखंड होता है। विवाह पूजा के लिए "सही" मुहूर्त चुनने का अर्थ है चंद्र और सूर्य सम्बन्धी कारकों, ग्रहों की स्थिति और वर-वधु की जन्मकुंडलियों का समन्वय ताकि वैवाहिक जीवन में सौहार्द, समृद्धि और दीर्घायु बनी रहे।
मुहूर्त के समय उठता हुआ लग्न सुदृढ़ होना चाहिए और किसी भी प्रकार की प्रकोपकारी दृष्टि से मुक्त होना चाहिए।सातवें भाव (विवाह भाव) की स्थिति अच्छी हो और वह ग्रहदोषों से मुक्त हो।
अधिक मास, क्षय मास, चतुर्मास, पितृ पक्ष / महालया श्राद्ध जैसी अवधियाँ विवाह मुहूर्त के लिए निषिद्ध मानी जाती हैं।
चुने हुए मुहूर्त के अंदर भी राहु, गुलिक या यमगंड के शासित क्षणों से बचें क्योंकि ये अस्थिरता और अड़चने लाते हैं।
1. प्रस्तावित तिथि का पंचांग देखें और तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार की पुष्टि करें।
2. वर-वधु की जन्मकुंडलियों की जांच कराएं ताकि चुने हुए मुहूर्त पर कोई बड़ा दोष या ग्रहगत संघर्ष न हो।
3. सभी निषिद्ध अवधियों को बाहर करें (चतुर्मास, पितृपक्ष, अधिक/क्षय मास)।
4. राहु, गुलिक, यमगंड से मुक्त 2–3 घंटे के छोटे-छोटे समय-खिड़कियाँ पहचानें।
5. अंतिम निर्णय किसी प्रमाणित वैदिक पुरोहित या ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर लें।
चंद्र तिथियों, नक्षत्रों, योग-करणों, सौर संक्रमणों और ग्रहकालों के सूक्ष्म समन्वय से आप एक शक्तिशाली ऊर्जा-आधार तैयार कर सकते हैं जो वैवाहिक जीवन के लिए टिकाऊ शुभारम्भ बनता है।
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यह छोटी गाइड "विवाह पूजा के लिए सही मुहूर्त का चयन" वैदिक अनुष्ठानों के लिए व्यावहारिक और सुलभ मार्गदर्शन देती है। यह मुहूर्त के प्रमुख ज्योतिषीय घटकों — तिथि (चंद्र तिथि), नक्षत्र, वार, योग-करण, लग्न, सौर मास और विषम अवधियों — को सरल भाषा में संकलित करती है। डॉक्यूमेंट में शुभ और अशुभ तिथियों/नक्षत्रों की सूची, राहु/गुलिक/यमगंड से बचने के तरीके और निषिद्ध अवधियों की स्पष्ट पहचान दी गई है।
व्यवहारिक भाग में प्रस्तावित तिथि की पंचांग-जाँच, वर-वधु की कुंडली मिलान, 2–3 घंटे के राहु-मुक्त समय-खिड़कियों की शॉर्टलिस्टिंग और अंतिम पुष्टि के लिए प्रमाणित वैदिक पुरोहित से सलाह लेने के चरण शामिल हैं।
अंत में तैयारियाँ और बैकअप मुहूर्त, गणेश पूजा की अनुशंसा और सार्वजनिक/निजी व्यवस्थाओं (अतिथि सुविधा, स्थान) पर व्यवहारिक टिप्स दिए गए हैं। यह eBook उन दंपतियों और परिवारों के लिए उपयोगी है जो सरल, भरोसेमंद और संस्कृतिपूर्ण तरीके से विवाह मुहूर्त तय करना चाहते हैं।
राजेश पाठक एक द्विभाषी आध्यात्मिक लेखक और अनुष्ठान दस्तावेजीकार हैं जो पारिवारिक पूजा-पद्धतियों के लिए सुलभ मार्गदर्शिकाएँ बनाते हैं।
वे पवित्र समारोहों का अनुवाद और प्रायोगिक सुझाव तैयार करने में विशेषज्ञ हैं ताकि परम्परा का सम्मान और सामंजस्य बना रहे।
उनका तकनीकी लेखन और सांस्कृतिक अध्ययन का अनुभव सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक अनुष्ठान प्रामाणिकता और स्पष्टता के साथ प्रस्तुत हो।
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